भगवान शिव को शुक्लयजुर्वेद अत्यन्त प्रिय है कहा भी गया है l
वेदः शिवः शिवो वेदः ll
इसी कारण ऋषियों ने शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है….
यजुर्मयो हृदयं देवो यजुर्भिः शतरुद्रियै:।
पूजनीयो महारुद्रो सन्ततिश्रेयमिच्छता।।
शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में बताई गई विधि से रुद्राभिषेक करनेसे विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
जाबालोपनिषद् में याज्ञवल्क्य ने कहा…
शतरुद्रियेणेति अर्थात् शतरुद्रिय के सतत पाठ करनेसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यजुर्वेदीय विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ हैं या इस विधान से परिचित नहीं हैं वे केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है।
महाशिवरात्रि, प्रदोष और सावन मास, पर शिव-आराधना करने से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। शिव भक्त इस दिन शिवजी का अभिषेक करते हैं।
शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है…
जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।lमध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।lप्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।lशर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।lमहलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
Shiv Purana
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।l
जल से अभिषेक
हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें
भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
–ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें
ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करे। शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
2) दूध से अभिषेक
शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें।भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।ताम्बे के पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें
शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
3) फलों का रस
अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें
भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें। ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें। पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें। अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
4) सरसों के तेल से अभिषेक
ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें। ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
। पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें। शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
। शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
5) चने की दाल
किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें।भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें। अभिषेक करेत हुए -ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें।शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
6) काले तिल से अभिषेक
तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें
पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें
7) शहद मिश्रित गंगा जल
संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें। तांबे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें। अभिषेक करते हुए -ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा’ का जाप करें
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
8) घी व शहद
रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करे। भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें। ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
। पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
। शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
9 ) कुमकुम केसर हल्दी
आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें।शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें। पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां दाल दें-‘ॐ नम: शिवाय’
फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें.
अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा’
शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें
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